डॉ. उदय शंकर प्रजापति -एक परिचय

डॉ. उदय शंकर प्रजापति एक प्रखर लेखक, विचारक और समाजसेवी हैं। समाज सेवा की उनकी यात्रा लंबी और निरंतर रही है। वे भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय सदस्य हैं और लंबे समय से सामाजिक न्याय और वंचित वर्गों के उत्थान के लिए संघर्षरत हैं।

उन्होंने स्नातक की पढ़ाई भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय से की तथा स्नातकोत्तर और पीएच.डी. की उपाधि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से अर्जित की। शिक्षा जगत से लेकर सामाजिक क्षेत्र तक, उनके विचार और कार्य जन-जागरण की दिशा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

डॉ. प्रजापति ने हमेशा पिछड़े एवं अति पिछड़े वर्गों के उत्थान को अपना लक्ष्य बनाया और इसके लिए निरंतर कार्यरत रहे। वे ज्वलंत मुद्दों के प्रखर विचारक और वक्ता के रूप में जाने जाते हैं। राजनीति में भी उनका सक्रिय योगदान रहा है। वे जनता दल (यू) के महासचिव एवं प्रदेश संगठन मंत्रीरह चुके हैं। वर्तमान में वे भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय सदस्य के रूप में कार्य कर रहे हैं।

सिर्फ राजनीति ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी उनका योगदान उल्लेखनीय है। वे हिंदी सलाहकार समिति, रक्षा उत्पादन विभाग, रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के सदस्य हैं। यह पद उनके साहित्यिक, सामाजिक और वैचारिक योगदान की स्वीकृति और सम्मान का प्रतीक है।

डॉ. उदय शंकर प्रजापति का व्यक्तित्व साहित्य, समाज और राजनीति—तीनों क्षेत्रों में गहरी पकड़ और सार्थक योगदान का परिचायक है। वे उन चंद लेखकों और विचारकों में गिने जाते हैं जो अपने लेखन और कर्म से समाज में परिवर्तन की प्रेरणा देते हैं।

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📖 पुस्तक परिचय

“बिहार की नब्ज़” केवल एक किताब नहीं, बल्कि बिहार की अति पिछड़ी जाति की पीड़ा, संघर्ष और उनके उत्थान की संभावनाओं का जीवंत दस्तावेज़ है। लेखक डॉ. उदय शंकर प्रजापति, जो एक प्रखर विचारक, समाजसेवी और लेखक हैं, ने इस पुस्तक में 14 अध्यायों के माध्यम से बिहार की अति पिछड़ी जाति की असली तस्वीर सामने रखी है।

इस कृति में उन्होंने समाज की जड़ों तक जाकर यह बताया है कि कैसे सदियों से हाशिए पर धकेली गई अति पिछड़ी जाति आज भी सामाजिक, शैक्षिक और राजनीतिक पिछड़ेपन से जूझ रही है। साथ ही, उन्होंने ठोस सुझाव और समाधान भी प्रस्तुत किए हैं, जो न केवल इन जातियों के उत्थान का मार्ग प्रशस्त करते हैं, बल्कि पूरे बिहार की समृद्धि और विकास की कुंजी भी बन सकते हैं।

“बिहार की नब्ज़” का हर अध्याय एक आईना है, जिसमें समाज की गहरी सच्चाइयाँ झलकती हैं। यह पुस्तक अति पिछड़ी जाति की पीड़ा की करुण पुकार है और साथ ही उनके जागरण व सशक्तिकरण का घोषणापत्र भी।

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